Friday, March 15, 2019

दुःख का कारण क्या?

कभी सोचता हूं कि की किसी चीज़ का होना तनाव का विषय है या किसी का न होना?...बहुत ही भ्रामक है ये सुख की खोज ।
   कोई भी चीज़ क्यों न हो, थोड़ा बहुत तनाव का विकिरण जरूर उत्त्पन्न करती है....ये तनाव रुपी विकिरण चीज़ को सुरक्षित रखने की भावना ही है..जिसके न होंने पर हमारे मस्तिष्क पर आघात होता है।
लेकिन किनको हम सुरक्षित देखना चाहते है,निश्चित रूप से उनको जिनके प्रति हमारे मन में आसक्ति और प्रेम है।
यदि कोई वस्तु बाजार से स्वयं या परिवार के द्वारा मूल्य चुकाकर खरीदी जा रही है तो आसक्ति उत्पन्न हो ही जाती है क्योंकि खरीदी हुई वस्तु के साथ कोई भी घटना धन की हानि से जुड़ जायेगी...वही धन जिससे हम में से अधिकाँश को प्रेम है।

   अब अगर हम रिश्तों की बात करें ....रिश्ता जो कि दो लोगो के मध्य "सम्मान" और "प्रेम" से ही  उत्त्पन होता है ,तो निश्चित ही सम्मान और प्रेम दोनों के साथ   किसी भी प्रकार का छलावा दुःख और रिश्तों के टूटने का कारण बनता है।
      प्रश्न उठता है कि रिश्तों के कारकों के साथ छलावा क्यों होता है..?  मेरी समझ में कारण "ईर्ष्या"और "अहं" है....इन् दोनों की संतुष्टि के लिए हम कभी कभी मौखिक,मानसिक अथवा शारीरिक रूप  से हिंसक हो जाते है।